मनु भाकर: भारतीय खेलों में नई ऊँचाइयों को छूने वाली युवाओं की आदर्श, और संकल्प और मेहनत की प्रेरणादायक यात्रा

मनु भाकर : भारतीय निशानेबाजी की चमकदार सितारा

 

परिचय:

भारत में खेलों की दुनिया में कई प्रतिभाओं ने अपनी छाप छोड़ी है, लेकिन उनमें से कुछ ही अपने खेल में इतनी चमक और प्रभावशीलता ला पाईं हैं जितना कि मनु भाकर ने। निशानेबाजी की दुनिया में एक नया सितारा, मनु भाकर ने अपने असाधारण कौशल और मेहनत के दम पर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।प्रारंभिक

जीवन :

मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ। उनका परिवार साधारण था, लेकिन उनकी खेल में रुचि और लगन ने उनके जीवन की दिशा को बदल दिया। प्रारंभ में, मनु ने कई खेलों में भाग लिया, लेकिन निशानेबाजी ने उन्हें खास आकर्षित किया। उनके परिवार ने उनकी इस रुचि को समर्थन दिया और इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए।

 

निशानेबाजी की यात्रा :

मनु भाकर की निशानेबाजी की यात्रा 2016 में शुरू हुई, जब उन्होंने स्थानीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। धीरे-धीरे, उनकी मेहनत और लगन रंग लाई और उन्होंने 2017 में भारतीय निशानेबाजी टीम में जगह बनाई।

मनु भाकर

 

प्रमुख उपलब्धियां :

2018 के युवा ओलंपिक खेल: मनु भाकर ने 2018 के युवा ओलंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन किया और 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। यह उनकी पहली बड़ी सफलता थी जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

 

2019 के विश्व कप:

2019 में मनु भाकर ने मुंबई में आयोजित निशानेबाजी विश्व कप में भी अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता और अपने देश का नाम ऊंचा किया।

मनु भाकर

 

2020 के एशियाई चैंपियनशिप:

2020 में, मनु भाकर ने एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया और कई पदक जीते। उनकी यह सफलता ने उन्हें दुनिया के शीर्ष निशानेबाजों में शामिल कर दिया।

 

2024 पेरिस ओलंपिक:

पेरिस ओलंपिक 2024 में 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में कांस्य पदक जीता है और ओलंपिक में शूटिंग में कांस्य पदक जीतने वाली मनु भाकर भारत की पहली महिला बन गई है। और इस मेडल के साथ साथ मनु भाकर ने एक और मेडल अपने नाम किया है मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम में कांस्य पदक जीता है । इस टीम में मनु भाकर के साथ सरबजीत सिंह थे।

 

 

रिकॉर्ड :

एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु भारत को पहली एथलीट बनी है।

 

प्रेरणा और संघर्ष :

मनु की सफलता का एक बड़ा हिस्सा उनकी कठिन मेहनत और संघर्ष से जुड़ा हुआ है। निशानेबाजी एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक से ज्यादा मानसिक मजबूती की जरूरत होती है। मनु ने खुद को इस खेल में मानसिक रूप से तैयार किया और हर कठिनाई का सामना किया। उनकी सफलताओं का कारण उनकी अनुशासन और निरंतर अभ्यास है।

 

भविष्य की योजनाएँ :

मनु का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। उन्होंने पहले ही कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी छाप छोड़ी है और आगे भी वह कई प्रमुख टूर्नामेंट्स में भाग लेने की योजना बना रही हैं। उनके लक्ष्य में ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतना और भारतीय निशानेबाजी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों पर ले जाना शामिल है।

 

समाज में प्रभाव :

मनु की सफलता ने भारत में निशानेबाजी के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है कि मेहनत और समर्पण से बड़े लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि सही दिशा और समर्थन से कोई भी युवा अपनी प्रतिभा को निखार सकता है और विश्वस्तर पर अपनी पहचान बना सकता है।

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निष्कर्ष :

मनु की यात्रा भारतीय खेलों की दुनिया में एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी मेहनत, लगन, और उत्कृष्टता ने उन्हें न केवल एक सफल निशानेबाज बनाया है, बल्कि युवाओं के लिए एक आदर्श भी प्रस्तुत किया है। उम्मीद है कि भारत का नाम रोशन करेंगी।

 

“अवनी लेखरा: स्वर्ण पदक प्राप्त करने की 1 अद्वितीय यात्रा और समर्पण की प्रेरणादायक कहानी”

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